एन-95 मास्क का बाजार दो महीने में 29 हजार गुना बढ़ा, हर दिन 1600 करोड़ रुपए की बिक्री; छह घंटे से ज्यादा इस्तेमाल नहीं कर सकते


नई दिल्ली (अमित कुमार निरंजन). विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गाइडलाइन के मुताबिक कोरोनावायरस से बचाव के लिए एन-95 मास्क सबसे बेहतर है। इसके बाद थ्री प्लाई मास्क को भी सुरक्षित माना गया है। एन-95 और थ्री प्लाई दोनों ही डिस्पोजेबल मास्क हैं। ऑल इंडिया फूड एंड ड्रग लाइसेंस होल्डर फाउंडेशन के नेशनल प्रेसिडेंट अभय पांडे ने 31 जनवरी 2020 को भारत सरकार को चिठ्ठी लिखकर एन-95 मास्क का एक्सपोर्ट रोकने की अपील की गई थी। सरकार ने तुरंत एन-95 मास्क का एक्सपोर्ट रोक भी दिया। इसके बावजूद देश में इसकी कमी है।


अभय बताते हैं कि जनवरी से लेकर अब तक एन-95 मास्क का बाजार करीब 29 हजार गुना बढ़ गया है। पहले रोजाना औसतन एक हजार 670 मास्क बिकते थे। अब हर दिन करीब 4 करोड़ एन-95 मास्क बिक रहे हैं। इसके बावजूद बाजार में इसकी कमी बनी हुई है, क्योंकि देश में प्रतिदिन 10 करोड़ एन-95 मास्क की जरूरत है।


मांग के साथ मास्क की कीमत भी बढ़ी


मांग बढ़ने के साथ एन-95 मास्क की कीमत भी बढ़ी है। अब एक मास्क की कीमत 350 से 400 रुपए हो गई है। ऐसे में अभी एन-95 का प्रतिदिन का कारोबार 1600 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। वहीं, अभी करीब तीन कराेड़ थ्री प्लाई मास्क का प्राेडक्शन रोज हो रहा है। इसकी कीमत अब 16 रुपए हो चुकी है। इस हिसाब से करीब 48 से 50 कराेड़ रुपए तक का थ्री प्लाई मास्क का प्रतिदिन कारोबार हो रहा है। विशेषज्ञ बताते हैं कि पिछले पूरे साल पांच लाख एन-95 मास्क की भी जरूरत नहीं थी। ये मास्क भी चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग ही ले रहे थे। अब अचानक इनकी डिमांड बढ़ गई है। अभय बताते हैं कि एन-95 मास्क को छह घंटे से ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।


मेडिकल स्टाफ को दिन में चार मास्क चाहिए


कोरोना के संदिग्धों के बीच काम कर रहे डॉक्टर, नर्स, सफाईकर्मी और सुरक्षाकर्मियों को दिन में चार एन-95 मास्क का इस्तेमाल करना पड़ता है। डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक अगर आप इसे समय रहते चेंज नहीं करेंगे, तो इसमें नमी आने लगती है, जिससे वायरस पनपने की आशंका होती है। देश में तीन कंपनियां.. त्रियम, वीनस और मैग्लम बड़े स्तर पर  एन-95 मास्क का प्रोडक्शन करती हैं। पहले यही देशभर की मांग की पूर्ति करती थीं। अब इनके अलावा आधा दर्जन छोटी मेन्यूफेक्चरिंग कंपनियां भी एन-95 मास्क बनाती हैं। कुछ कंपनियां एन-95 मास्क की कॉपी करती हैं।


लॉकडाउन के कारण 50 फीसदी कामगार घटे
एन-95 मास्क बनाने की लागत 11 रुपए आती है। पहले यह 150 रुपए में बिकता था, लेकिन कोरोनावायरस संक्रमण बढ़ने के कारण अब एक मास्क 300-400 रुपए में बिक रहा है। कुछ जगहों पर यह 700 रुपए तक भी बिक रहा है। वहीं, थ्री प्लाई मास्क की लागत 2 रुपए से ज्यादा नहीं है, लेकिन यह 16 रुपए में बिक रहा है। ऑर्थाेसूट बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के संचालक मनोज राजावत ने बताया कि हम अभी करीब 60 हजार थ्री प्लाई मास्क का प्रोडक्शन रोज कर रहे हैं। हालांकि हमें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लॉकडाउन के कारण 50% कामगार कम हो गए हैं।